हमारी देवपूजा में इसी प्रकार के गुप्त अभिप्राय कूट-कूटकर भरे हुए हैं।
2.
जहां कहीं संस्कृत के नहीं जानने वाले मनुष्यों के सामने दूसरे को अपना गुप्त अभिप्राय समझाना चाहें तो संस्कृत भाषण काम आता है ।
3.
इसीलिये हिन्दोस्तान सहित विभिन्न साम्राज्यवादी ताकतें जब श्री लंका में मानव अधिकारों के उल्लंघनों पर घडि़याली आंसू बहाते हैं तब हमें समझना चाहिये कि ये गुप्त अभिप्राय के साथ राजनीतिक दांव-पेचों के सिवाय और कुछ नहीं हो सकते हैं।
4.
संसार में अंदर-ही-अंदर भांति-भांति की जो अनेक अश्रुत-पूर्व गूढ़ घटनाएं घटित हो रही थीं-रूसी कितने आगे बढ़ गए हैं, अंग्रेजों का क्या-क्या गुप्त अभिप्राय है, देशी राजाओं में कैसी खिचड़ी पक रही है, इन सबसेबेखबर हम पूर्णतः निश्चिन्त थे।